Wednesday, 21 December 2016

सीरिया संकट - वैश्विक मुस्लिम समुदाय का गैर जिम्मेदराना रवैया

सीरिया में हो रहे ज़ुल्मों का ज़िम्मेदार मुस्लिम हुकूमतें के अलावा कोई नहीं है | ईरान और सीरिया जो जज़ीरा ए अरब पर अपने वर्चस्व के लिये मुसलमानों का क़त्ले आम कर रहे हैं. सऊदी अरब और ख़लीजी मुमालिक जो अय्याशी में मस्त और अरब में अपने वजूद के छिन जाने और अपनी बारी के आने का इंतिज़ार कर रहे हैं. पाकिस्तान जिसे सिर्फ कश्मीर दिखता है | मलेशिया और इंडोनेशिया सिर्फ़ नाम के मुस्लिम मुल्क हैं. उनकी तो बात ही करना बेकार है. अब आप ग़ौर करो कि किसी भी जमात के *बंदा ए मोमिन* का मुंह क्यों नही फट रहा | → शिया ----- ज़ुल्म की मुख़ालिफ़त सिर्फ़ इसलिये नहीं करते क्योंकि ज़ुल्म करने वाले ख़ुद शिया हैं. यह कैसी हुसैनियत है, जो यज़ीद के नक़्शे क़दम पर चल रही है. → अहले हदीस --- अरब के हुकमरानों को ख़ुदा मान लिया है क्या? ज़ुल्म पर ख़ामोश इसलिये हैं क्योंकि शाह सलमान ख़ामोश है. इनका किरदार तो मिस्र में मुरसी की इस्लाम पसंद हुकूमत को गिरा कर इबलीस सीसी को इक़तिदार पर बिठाते ही ज़ाहिर हो गया था. →देवबंदी ---- सारी वफ़ादारी वतन और काँग्रेस के लिये ही है या कुछ उम्मते मुस्लिमा के लिये भी बची है. गंगा जमुनी तहज़ीब और हिंदु मुस्लिम एकता की तहरीकों के बाद अगर कुछ तवानाईयाँ बची हों, तो सीरिया के लिये भी इस्तेमाल कर ली जाए. →बरेलवी ---अपने मुल्क में हो रहे ज़ुल्म पर ख़ामोश रहने वालों से मुल्क के बाहर के ज़ुल्म पर बोलने की क्या तवक़्क़ो की जाए. फिर भी अगर वहाबियों पर कुफ़्र के फ़तवों से फ़ुर्सत मिल जाए और जश्न की थकान उतर गई हो तो कुछ अफ़सोस सीरिया पर भी कर लिया जाए. दूसरों पर इलज़ाम लगाना बहुत आसान है. दरअसल सबसे बड़े मुजरिम हम ख़ुद हैं.अपनी बुज़दिली और निफ़ाक़ को छुपाने के लिये दूसरों के सर पर ठीकरा फोड़ कर राहे फ़रारी अख़्तियार करते हैं. अपने घरों को और ऐशो आराम को छोड़ना नहीं चाहते और सिर्फ़ दुआओं से हल चाहते हैं.

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